Sadhana Shahi

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काजल (कविता) प्रतियोगिता हेतु19-Apr-2024

काजल (कविता) प्रतियोगिता हेतु

आंँखों में जब लगा लो काजल सुंदरता चौगुनी होती। गालों पर यदि लग जाए तो काजल ही कालिख कहलाती।।

बच्चों को यदि लगा दो टीका बुरी नज़र से उन्हें बचाती। बुरे कर्म कर मल दो मुख पर, हमको जिंदा लाश बनाती।।

ग़लती से ख़ुद लगा ले बच्चा, हंँसते-हंँसते हम थक जाएँ । बनता काम बिगाड़ें यदि तो कालिख पोत सब कुछ ही गँवाए।।

कानों के जब लगालें पीछे, उस मानव की रक्षा करता। बड़े प्यार से इसे लगाओ, लापरवाही से है यह डरता।

आंँखों से छलका यदि आंँसू, काजल ही कालिख कहलाता। राज दबा जो मन के अंदर, फिर तो यह सबको बतलाता।।

साधना शाही, वाराणसी

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जी बेहतरीन प्रस्तुति।

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